पीसीओडी और पीसीओएस की सही जानकारी

September 30, 2025by admin0

आज की व्यस्त और भागदौड़ भरी जिंदगी में महिलाओं के लिए स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ बढ़ती जा रही हैं। इनमें से सबसे आम और गंभीर समस्या है पीसीओडी (Polycystic Ovarian Disease) और पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome)। अक्सर ये दोनों शब्द एक-दूसरे के स्थान पर इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन इनके बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है। आइए, विस्तार से समझते हैं।

 

पीसीओडी (Polycystic Ovarian Disease) क्या है?

 

पीसीओडी एक ऐसी स्थिति है जिसमें अंडाशय (Ovaries) में छोटे-छोटे सिस्ट बनने लगते हैं। यह हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है।

  • अंडाशय का आकार सामान्य से बड़ा हो सकता है।

  • अंडे (Eggs) पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते और अक्सर बाहर नहीं निकलते।

  • मासिक धर्म (Periods) अनियमित हो जाते हैं।

  • कभी-कभी यह समस्या महिलाओं में गर्भधारण में कठिनाई पैदा करती है।

 

पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) क्या है?

 

पीसीओएस को Syndrome कहा जाता है क्योंकि इसमें कई लक्षण एक साथ दिखाई देते हैं।

  • पुरुष हार्मोन (Androgen) का स्तर बढ़ जाता है।

  • महिलाओं में चेहरे, हाथ-पैर या ठोड़ी पर अनचाहे बाल उग आते हैं।

  • मुंहासे और तैलीय त्वचा की समस्या बढ़ जाती है।

  • मोटापा और इंसुलिन रेजिस्टेंस की संभावना रहती है।

  • गर्भधारण की संभावना कम हो सकती है।

 

पीसीओडी और पीसीओएस में फर्क

 

  • पीसीओडी: केवल अंडाशय में छोटे सिस्ट बनते हैं और ये जीवनशैली में बदलाव से ठीक हो सकता है।

  • पीसीओएस: यह एक मेटाबोलिक और हार्मोनल समस्या है जो पूरे शरीर को प्रभावित कर सकती है।

 

लक्षण (Symptoms)

 

  • मासिक धर्म का अनियमित होना या बंद हो जाना

  • शरीर पर अनचाहे बाल (Hirsutism)

  • चेहरे पर मुंहासे और तैलीय त्वचा

  • वजन तेजी से बढ़ना

  • बाल झड़ना या पतले होना

  • थकान, मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन

  • गर्भधारण में कठिनाई

 

कारण (Causes)

 

  • हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)

  • तनाव और मानसिक दबाव

  • असंतुलित आहार और जंक फूड का सेवन

  • मोटापा और शारीरिक गतिविधि की कमी

  • अनुवांशिक कारण (Family History)

  • नींद की कमी

 

संभावित जटिलताएँ (Complications)

 

अगर पीसीओडी या पीसीओएस का सही समय पर इलाज न हो तो यह आगे चलकर कई बीमारियों का कारण बन सकता है:

 

  • मधुमेह (Diabetes)

  • हृदय रोग (Heart Diseases)

  • बांझपन (Infertility)

  • उच्च रक्तचाप (High BP)

  • एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा

 

इलाज और प्रबंधन (Treatment & Management)

 

  • संतुलित आहार: कम तेल, कम चीनी और ज्यादा फल-सब्जियाँ।
  • योग और व्यायाम: रोजाना कम से कम 30 मिनट वॉक या एक्सरसाइज।
  • नियमित चेकअप: स्त्री रोग विशेषज्ञ (Gynaecologist) से समय-समय पर परामर्श।
  • तनाव कम करना: मेडिटेशन और पर्याप्त नींद लेना।

 

 

 

निष्कर्ष

 

पीसीओडी और पीसीओएस महिलाओं के लिए एक गंभीर लेकिन नियंत्रित की जा सकने वाली समस्या है। अगर सही समय पर इसका पता लगाया जाए और जीवनशैली में बदलाव किए जाएँ तो इसे आसानी से मैनेज किया जा सकता है।

“स्वस्थ महिला ही स्वस्थ समाज की नींव है।”

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