भारत समेत पूरी दुनिया में तम्बाकू का सेवन एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है। चाहे वह बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, पान मसाला या खैनी हो — तम्बाकू शरीर और मन दोनों पर गहरा और अक्सर अदृश्य प्रभाव डालता है।
तम्बाकू की लत धीरे-धीरे शरीर को अंदर से खोखला कर देती है, और इससे जुड़ी बीमारियाँ व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से कमजोर बना देती हैं। इस ब्लॉग में हम जानेंगे तम्बाकू के शरीर और मन पर पड़ने वाले छिपे लेकिन खतरनाक प्रभावों के बारे में।
तम्बाकू का सेवन किन रूपों में होता है?
-
धूम्रपान (Smoking) – सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, सिगार आदि
-
चबाने योग्य (Smokeless) – गुटखा, पान मसाला, खैनी, ज़र्दा, सुपारी आदि
दोनों ही रूप शरीर के लिए बेहद हानिकारक हैं।
शरीर पर तम्बाकू का प्रभाव
1. फेफड़ों पर असर
-
तम्बाकू से फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है
-
लंग कैंसर, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी बीमारियाँ होती हैं
2. हृदय रोग का खतरा
-
तम्बाकू ब्लड प्रेशर बढ़ाता है
-
दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है
-
हार्ट अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है
3. कैंसर का खतरा
-
मुंह, गले, फेफड़े, पेट और गुर्दे का कैंसर होने की संभावना बढ़ती है
-
गुटखा और खैनी खाने से मुंह का कैंसर बहुत आम है
4. त्वचा और दांतों पर प्रभाव
-
समय से पहले झुर्रियाँ
-
दांत पीले, सड़न और मसूड़ों की बीमारियाँ
मन और मस्तिष्क पर प्रभाव
1. मानसिक तनाव और चिंता
-
तम्बाकू शुरू में स्ट्रेस कम करता प्रतीत होता है, लेकिन वास्तव में यह anxiety और depression को बढ़ाता है
2. नींद की गुणवत्ता खराब होना
-
निकोटीन नींद में बाधा डालता है और शरीर को रिलैक्स नहीं होने देता
3. एकाग्रता में कमी
-
मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर का संतुलन बिगड़ता है जिससे एकाग्रता कम हो जाती है
4. आदत बन जाने से मनोवैज्ञानिक निर्भरता
-
तम्बाकू की लत डोपामिन रिलीज को प्रभावित करती है, जिससे व्यक्ति मानसिक रूप से उस पर निर्भर हो जाता है
क्या तम्बाकू छोड़ना संभव है?
हाँ, बिल्कुल संभव है, अगर आप सही तरीके और समर्थन से प्रयास करें।
निष्कर्ष
तम्बाकू का सेवन न केवल आपके शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह मानसिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति को भी बुरी तरह प्रभावित करता है।
आज ही संकल्प लें कि आप या आपके प्रियजन इस धीमे ज़हर से खुद को बचाएँगे।