आज की डिजिटल दुनिया में मोबाइल, लैपटॉप और टीवी हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुके हैं। काम, मनोरंजन और सोशल मीडिया सब कुछ स्क्रीन पर सिमट गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये स्क्रीन, जिन्हें हम हर दिन घंटों तक देखते हैं, हमारे दिल के स्वास्थ्य पर चुपचाप बुरा असर डाल रही हैं
- बैठे रहने की आदत और हृदय स्वास्थ्य
लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बैठे रहना “सेडेटरी लाइफस्टाइल” को बढ़ावा देता है। जब हम लगातार बैठते रहते हैं और शरीर को पर्याप्त मूवमेंट नहीं मिलता, तो ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है। इससे हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना और अंततः हार्ट डिजीज़ का खतरा भी बढ़ता है।
- तनाव और नींद की कमी
स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी (Blue Light) मेलाटोनिन हार्मोन को प्रभावित करती है, जिससे नींद की गुणवत्ता खराब होती है। नींद की कमी से शरीर में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है, जो हृदय के लिए बेहद हानिकारक है।
- खराब खानपान की आदतें
स्क्रीन टाइम के दौरान हम अक्सर अनहेल्दी स्नैक्स या जंक फूड खाते हैं – और ध्यान भी नहीं देते कि कितना खा लिया। यह आदत मोटापे और डायबिटीज़ को जन्म देती है, जो दिल की बीमारियों की जड़ हैं।
- मानसिक तनाव का असर दिल पर
सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग चिंता, डिप्रेशन और आत्मसम्मान की समस्याएं बढ़ा सकता है। मानसिक तनाव सीधे दिल की सेहत को प्रभावित करता है। हार्ट अटैक के मामलों में मानसिक तनाव को एक प्रमुख कारण माना गया है।
- फिजिकल इनएक्टिविटी और हृदय रोग का संबंध
WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार, फिजिकल इनएक्टिविटी (शारीरिक निष्क्रियता) विश्व स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। स्क्रीन के सामने बिताया गया हर अतिरिक्त घंटा, आपके एक्टिव समय को कम करता है। एक रिसर्च के मुताबिक, जो लोग दिन में 6 घंटे से अधिक स्क्रीन टाइम में बिताते हैं, उन्हें कार्डियोवैस्कुलर डिजीज़ का खतरा 20%-30% अधिक होता है।
- बचपन से ही स्क्रीन टाइम का प्रभाव
आजकल छोटे बच्चे भी मोबाइल, टैबलेट या टीवी से जुड़े रहते हैं। यह आदत ना सिर्फ मानसिक और शारीरिक विकास को प्रभावित करती है, बल्कि भविष्य में हृदय संबंधी बीमारियों की नींव भी रख सकती है। बचपन से शारीरिक गतिविधियों की कमी मोटापा, हाई बीपी और कमजोर हृदय का कारण बन सकती है।
- सोशल मीडिया और “डिजिटल स्ट्रेस”
हर समय नोटिफिकेशन चेक करना, लाइक्स और कमेंट्स की चिंता करना — ये सब “डिजिटल स्ट्रेस” का हिस्सा हैं। यह स्ट्रेस लगातार बना रहता है और हार्ट रेट को अनावश्यक रूप से बढ़ाए रखता है, जिससे हृदय की कार्यक्षमता पर दबाव पड़ता है।
- स्क्रीन के कारण नियमित दिनचर्या में विघटन
स्क्रीन टाइम के कारण लोगों की नींद, खानपान, वर्कआउट और रिलैक्सेशन की दिनचर्या बिगड़ जाती है। ये सारी चीजें दिल को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाती हैं। जब ये असंतुलित हो जाती हैं, तो शरीर का हार्मोनल बैलेंस बिगड़ता है, और दिल पर नेगेटिव असर होता है।
समाधान क्या है?
-
स्क्रीन टाइम लिमिट करें: हर घंटे में 5-10 मिनट का ब्रेक लें। मोबाइल पर स्क्रीन टाइम ट्रैकर ऐप का उपयोग करें।
-
फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं: दिन में कम से कम 30 मिनट वॉक या योग करें।
-
सोने से पहले स्क्रीन से दूरी रखें: नीली रोशनी से बचाव के लिए रात को मोबाइल या लैपटॉप से दूरी बनाएं।
-
संतुलित आहार लें: स्क्रीन टाइम के साथ अनहेल्दी स्नैकिंग से बचें। हेल्दी डाइट अपनाएं।
निष्कर्ष
डिजिटल युग ने हमारी जिंदगी को आसान जरूर बनाया है, लेकिन अत्यधिक स्क्रीन टाइम हमारी सेहत – खासकर दिल के स्वास्थ्य के लिए एक मूक खतरा बन गया है। जागरूक रहें, सतर्क रहें और अपने दिल की रक्षा करें।