लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic Surgery)
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी क्या है?
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी आधुनिक शल्य-चिकित्सा तकनीक है, जिसमें बड़े चीरे के बजाय बहुत छोटे-छोटे छेद करके ऑपरेशन किया जाता है। इसमें एक पतली ट्यूब (लेप्रोस्कोप) डाली जाती है, जिसमें कैमरा और लाइट लगी होती है। कैमरे से डॉक्टर शरीर के अंदर की स्थिति मॉनिटर पर देख सकते हैं और छोटे-छोटे उपकरणों से सर्जरी कर सकते हैं।
किन बीमारियों में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाती है?
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पित्त की थैली में पथरी (Gallstones)
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अपेंडिक्स (Appendicitis)
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हर्निया (Hernia)
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आंतों से संबंधित बीमारियाँ
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महिलाओं की प्रजनन प्रणाली की बीमारियाँ (जैसे एंडोमेट्रियोसिस, ओवरी सिस्ट)
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किडनी और मूत्राशय की कुछ सर्जरी
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के कारण इसे प्राथमिकता दी जाती है
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इसमें चीरा बहुत छोटा लगता है
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खून कम बहता है
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मरीज को कम दर्द होता है
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अस्पताल में रुकने की अवधि कम होती है
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मरीज जल्दी अपने सामान्य जीवन में लौट सकता है
लक्षण, जिनमें डॉक्टर लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की सलाह देते हैं
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पेट में लगातार दर्द रहना
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पित्त की पथरी से बार-बार उल्टी या पेट फूलना
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अपेंडिक्स में तेज दर्द और सूजन
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हर्निया का उभार और उसमें तकलीफ
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महिलाओं में बार-बार पेल्विक दर्द या बांझपन से जुड़ी समस्या
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आंतों में रुकावट या बार-बार कब्ज और दर्द
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का इलाज कैसे होता है?
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मरीज को एनेस्थीसिया देकर पूरी तरह बेहोश किया जाता है।
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पेट में 3-4 छोटे-छोटे छेद किए जाते हैं।
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कैमरे और लाइट के जरिए डॉक्टर अंदर की तस्वीर मॉनिटर पर देखते हैं।
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खास उपकरणों से ऑपरेशन किया जाता है।
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ऑपरेशन के बाद मरीज को आमतौर पर 24-48 घंटे अस्पताल में रखा जाता है।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के फायदे
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कम दर्द और कम टांके
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ऑपरेशन के निशान लगभग न के बराबर
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संक्रमण का खतरा कम
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रिकवरी जल्दी होती है
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मरीज जल्दी उठ-बैठ और चल सकता है
बचाव और सावधानियाँ
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ज्यादा तैलीय और मसालेदार भोजन से बचें
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मोटापा नियंत्रित रखें
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भारी सामान अचानक उठाने से बचें
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नियमित स्वास्थ्य जांच कराएँ
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डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा और डाइट का पालन करें
निष्कर्ष
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी आज के समय में कई बीमारियों का सुरक्षित और प्रभावी इलाज है। यह पारंपरिक सर्जरी की तुलना में बेहतर विकल्प साबित हो चुकी है क्योंकि इसमें दर्द और जोखिम दोनों कम होते हैं। यदि आपको पेट, पित्ताशय, हर्निया या अपेंडिक्स जैसी समस्याएँ हैं तो समय पर जांच कराकर विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह जरूर लें।